मृत्यु तुमको दूर हमसे कर न पायी,
याद में हो, बाद में हो, तुम अटल हो!
इस धरा की शान हो, भारत का सम्मान हो,
हर एक की जुबान पे हो, तुम अटल हो!
सारे जहाँ में आंख हमसे कोई अब मिलाता नही,
भारती के भानु हो तुम, तुम अटल हो!
लोगों की अब दोस्तो से नही बनती यहाँ,
दुश्मनों से भी बनाई, तुम अटल हो!
पोखरण में अग्नि दहका कर के गरजे,
माँ भारती अब भी ऋणी है, तुम अटल हो!
आज जब तुम यूँ चले हो इस जहाँ से ,
आंख भर आयी गगन की, तुम अटल हो!
है प्रार्थना बस एक ही तुमसे भारत रत्ना,
छाया ही अपनी छोड़ जाना, तुम अटल हो!
#आवारा_कवि
